Jaipur News: पिछले तीन दशकों की चुनावी राजनीति के पन्ने पलटें तो साफ हो जाएगा कि राजस्थान की जनता बड़ी समझदारी से बड़े दलों को ही चुनती आ रही है. तीसरा मोर्चा तीस सालो में ऐसी स्थिति में भी नहीं आया कि उसकी जीती सीटों का आंकड़ा दहाई के अंक के भी पार गया हो. राजस्थान के क्षत्रपों ने अलग पार्टी बनाकर कोशिशें कीं, लेकिन वे नाकामयाब ही रहे. बीजेपी और कांग्रेस बारी-बारी से सत्ता की अदला-बदली करती रही.
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